Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient points of PM’s address at “EkNayiSubah” Event on the completion of 2 Years of the Government

  • दो वर्ष पूर्व देश में हम लोगों पर एक नई जिम्‍मेवारी दी और लोकतंत्र का ये माहात्‍मय है कि लोगों के द्वारा चुनी गई सरकार का निरंतर आंकलन होना चाहिए। कमियां हो, अच्‍छाईयां हो, इसका लेखा-जोखा होना चाहिए। दो साल के कार्यकाल की ओर नजर करने से इस बात का भी अहसास होता है कि हम जहां पहुंचने के लिए चले थे वहां पहुंचे पाए कि नहीं पहुंच पाए, जिस दिशा में निकले थे वो दिशा सही थी या नहीं थी, जिस मकसद से चले थे वो मकसद पूरा हुआ कि नहीं हुआ।
  • देश ने पिछले 15 दिन में दो बातें स्‍पष्‍ट देखी है, एक तरफ विकासवाद है दूसरी तरफ विरोधवाद है। और विकासवाद और विरोधवाद के बीच में ये जनता जनार्दन दूध का दूध और पानी का पानी करके क्‍या सत्‍य है कितना सत्‍य है इसको भली-भांति नाप सकते है।
  • हम बिल्‍कुल ही बीती हुई सरकारों की बातों को ओझल कर दें और अचानक ही चीजों की चर्चा करेंगे तो शायद सही मूल्‍यांकन नहीं कर पाएंगे।
  • हमने कोयले की समस्‍या का समाधान किया। दो साल पहले कोई अखबार, कोई दिन, कोई टीवी, कोई चैनल, कोई चर्चा, कोई भाषण, इन भंयकर भ्रष्‍टाचारों से अछूता नहीं था, लेकिन आज अगर मैं ये कहूं कि auction किया, Transparent way में किया। अब तक इस पर कोई सवालिया निशान नहीं लगा है, देश के खजानें में लाखों-करोड़ों रुपयां आना तय हो चुका है। राज्‍यों के खजानें में भी पैसा जा रहा है। इतना ही नहीं जहां कोयले की खदान है वहां हमारे ज्‍यादातर आदिवासी समाज के लोग रहते है उनके कल्‍याण के लिए उसमें से फंड निकलने वाला है।
  • देशवासियों को जान करके हैरानी होगी अकेले रसोई गैस में इतने फर्जी नाम मिले, इतने फर्जी सिलेंडर की चर्चा निकली, जिसको हमने leakage को बंद करने का प्रयास किया। करीब-करीब 15 हजार करोड़ रुपया, आपके हक़ का पैसा बचा लिया है।
  • अब तक 1 करोड़ 62 लाख से ज्‍यादा फर्जी राशन कार्ड हमने खोज के निकाले। मतलब उस राशन कार्ड पर जो भी जाता था वो किसी की जेब में तो जाता था। कहीं तो बेईमानी होती थी।
  • मोटा-मोटा हिसाब मैं लगाऊं, तो करीब 36000 करोड़ रुपया, ये leakages रूक गया है। ये corruption जाता था रूक गया और एक साल के लिए ये हर वर्ष इतना बचने वाला है और अभी शुरूआत है, एक नई सुबह है।
  • कभी LED बल्‍ब कितने रूपये में बिकता था, आज कितने रूपये में बिकता है, कहीं पर 200, 250, 300 तक LED बल्‍ब की कीमत थी, आज वो 60, 70, 80 पर आ गई है। LED बल्‍ब के campaign के कारण जिन पांच सौ शहर को हमने target किया है, उन पांच सौ शहर में अगर हम शत-प्रतिशत, LED बल्‍ब पहुंचाने में हम सफल हो गये और होने वाले हैं, जिस दिन वो काम पूरा होगा इस देश में करीब-करीब 20 हजार मेगावाट बिजली बचने वाली है। 20 हजार मेगावाट बिजली बचने का मतलब होता है, एक लाख करोड़ रूपये की बिजली की कारखाने की जो लागत जो है वो बचने वाली है.
  • पिछले कई चुनाव हो गए, चुनाव में यह ही चर्चा होती थी कि 12 cylinder होने चाहिए, या छह होनी चाहिए। और बड़े-बड़े लीडर घोषणा करते थे और दूसरे दिन अखबार में headline छपती थी कि 9 cylinder नहीं अब 12 cylinder पर सब्सिडी मिलेगी और 9 cylinder से 12 cylinder के नाम पर वोट मांगे जाते थे। उन दिन को याद कीजिए जब हिन्‍दुस्‍तान में Parliament की member को 25 रसोई गैस के कूपन मिलते थे। MP बनने के नाते और वो 25 कूपन से लोगों को अपने कार्यकर्ताओं को और साथियों को, supporters को obelise करता था कि मुझे एक गैस कूपन दीजिए। यह मैं पांच साल, दस साल पहले की बात कर रहा हूं कोई बहुत पुरानी बात नहीं कर रहा हूं, जिस देश में यह चर्चा होती हो और इस देश का प्रधानमंत्री बातों-बातों में देश की जनता को request करें कि आप गैस subsidy छोड़ दीजिए और मैं देश को नमन: करता हूं, 1 करोड़ 13 लाख लोगों ने अपनी subsidy छोड़ दी, क्‍या यह बदल नहीं है, यह जन-मन का बदलाव नहीं, यह देश बदलाव नहीं है, देश के विकास के लिए जनभागीदारी का इससे बड़ा क्‍या उदाहरण हो सकता है। यह देश ने अनुभव किया है। और हमने भी तय किया कि हम इस गैस subsidy जो छोडी है, गरीब के घर में मां लकड़ी का चूल्‍हा जलाती है और दिन भर खाना मकाने के कारण करीब-करीब चार सौ सिगरेट का धुआं उसके शरीर में जाता है। चार सौ सिगरेट जितना धुआं उस मां की चिंता कौन करेगा और हमने पिछले एक वर्षों में करीब-करीब तीन करोड़ से ज्‍यादा परिवारों को नये रसोई गैस के connections दे दिये हैं। आजाद हिन्‍दुस्‍तान में एक साल में इतना बड़ा काम कभी नहीं हुआ है और हमने ठान ली है कि आने वाले तीन साल में पांच करोड़ परिवार, जिनके पास आज रसोई गैस नहीं है उनको हम पहुंचाएंगे, क्‍योंकि वो गरीब परिवार है, मध्‍यम वर्ग तक तो रसोई गैस पहुंचा है। निम्‍न मध्‍यम वर्ग तक नहीं पहुंचा है। झोपड़ी का तो सवाल नहीं है, लेकिन हमने बेड़ा उठाया है।
  • हमने Soil Health Card का बहुत बड़ा mission लेकर चल पड़े। धरती की सेहत कैसी है, मिट्टी में कौन से गुण है, कौन सी कमियां है, किस प्रकार के फसल के लिए वो जमीन अनुकूल है, कौन सी दवाई चलेगी, कौन सा fertilizer चलेगा। इंसान जिस प्रकार से blood test करवाता है, urine test करवाता है, diabetes है, नहीं है, वो तय करवाता है, यह धरती माता की भी वैसी ही परीक्षण का काम इस सरकार ने उठाया है और देश के किसानों तक इस बात हमने बड़े पहुंचाया है और काफी मात्रा में किसान आज अपने Soil Health Card के द्वारा इस बात पर निर्णय करने लगें हैं कि crop pattern को कैसे बदला जाए।
  • सबसे बड़ा बदलाव है कि देश के अंदर एक विश्‍वास भरना, संकल्‍प के साथ चलना और सामान्‍य मानव की जिंदगी की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने का निरंतर प्रयास करना। मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया देशवासियों ने हमें भरोसा दिया, उस भरोसे को हम पूरा करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। और देश ने देखा है, बदइरादे से कोई निर्णय नहीं किया है। मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखी है और राष्‍ट्रहित को सर्वोत्‍त रख करके जन-सामान्‍य के हितों को सार्वोत्‍त रख करके हमने अपने-आप को जुटा दिया है।
  • Team India का कल्‍पना लेकर चले है। राज्‍य को कंधे से कंधा मिलकर काम में जोड़कर चले है, लेकिन ये बात सही है कि जिन्‍होंने आज तक खाया है उनको तो मुश्किलें आनी ही आनी है, उनको तो तकलीफ होनी ही होनी है। किसने खाया, कब खाया वो मेरा विषय नहीं है लेकिन ये देश का रुपया है गरीब का पैसा है, ये किसी औरों के पास जाने नहीं दिया जाएगा। इस काम पर मैं लगा हुआ हूं। जिन को तकलीफ होती होगी, होती रहे, हम देश के लिए काम करते रहेंगे। देश की जनता हमें आर्शीवाद देती रहें।