Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient Points from Excerpts of PM Modi’s interaction at the Town Hall marking two years of MyGov, 6th Aug,2016

• गुड गर्वनस, हमारे देश में माना गया है गुड गर्वनस is a bad politics ये सही है ज्या दातर राजनीति में चुनाव जीतने के बाद सरकारों को इस बात पर ध्या न रहता है कि वे अगला चुनाव कैसे जीते और इसी‍लिए उनकी योजनाओं की priority उसी बात पर रहती है कि भाई अपना जनाधार कैसे बढ़ाए और अधिक वोट पाने के रास्तेर खोजे और उसके कारण जिस उद्देश्यर से कारवाह चलता है वो कुछ ही कदमों पर जाकर के लुढ़क जाता है। अगर हम गुड गर्वनस पर बल नहीं देंगें तो सामान्य़ मानव के जीवन में बदलाव नहीं आएगा । डेवेलपमेंट एंड गुड गर्वनस इन दोनों को संतुतिल संबंध होना चाहिए तभी जाकर कर सामान्यप मानव को लाभ होगा। गुड गर्वनस के लिए पहली आवश्यरकता है जिस जिस की जो जिम्मे वारी है उससे उस जिम्मेरवारी का हिसाब मांगना चाहिए न नीचे हिसाब मागंना चाहिए न उपर ये सीधा सीधा उससे मांगना चाहिए तब सुधार होगा।

• optimal utilization of the natural resources जितना ज्याबदा हम, हमारे पास जो प्राकृतिक संपदा है उसका हम जितना ज्याuदा उपयोग करेंगे, उतना हमारी इकोनॉमी बढ़ेगी। हम ह्यूमन रिसोर्स का भी प्रॉपर यूटीलाइजेशन कर पाएगें।

• भारत जैसा देश हजारों साल पुरानी विरासत हमारे पास है। हम अगर टूरिजम को बढ़ावा दें और सफलतापूर्वक बढ़वा दें। दुनियाभर के टूरिस्ट आए तो हमारी ये जो, हजारों साल से हमारे पास ये जो विरासत है वो हमारी इकोनॉमी में कनवर्ट हो जाएगी, वो हमारी इकोनॉमी को बढ़ा देगी।

• भारत के जो मैन्यूरफैक्चसर्स है, उन्हेंे ग्लोरबल मार्केट की ओर टारगेट करना चाहिए। जब भारत में बनी हुई ट्रेन मेट्रो ऑस्ट्रे लिया में एक्पोंर्ट होती है। भारत में बनी हुई जापानी कंपनी मारूति जब भारत में कार बनाती है और जापान उसको इंपोर्ट करता है तो हिन्दु स्ताबन की इकोनॉमी बढ़ती है। आज हम अरबों-खरबों रूपयों का पैट्रोलियम प्रोडेक्टम बाहर से लाते है, हम सोलर एनर्जी पर बल दें। हमारी अपनी ताकत पर हमारा इंपोर्ट कम करने की स्थिति में आ जाए, हम ग्रोथ में एक नया एडिशन जोड़ सकते है। डिफेंस अरबों-खरबों रूपयों का डिफेंस इक्यूनपमेंट हमको बाहर से लाना पड़ता है। भारत के नौजवानों के पास टैलेंट है। अगर हम डिफेंस इक्यूडपमेंट मैन्यूजफ्रैक्चैरिंग के लिए टेक्नोरलॉजी ट्रांसफर करेंगे, एफडीआई लाएगे, लेकिन बनाएगे यहां नौजवान को रोजगार भी मिलेगा और हमें इंपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी।

• अगर हम पीने का शुद्ध पानी ये अगर हम पहुंचाने में सफल होते है जो सामान्य मानव का हक है। मैं जनता हूं काम बड़ा कठिन है लेकिन किसी ने तो सोचना चाहिए। बिमारियों की काफी कठिनाईयां वहीं से दूर होना शुरू हो जाएगी। ये जो मैं स्व च्छिता अभियान के पीछे लगा हुआ हूं।

• स्वरच्छयता अभियान एक प्रकार से बीमारी के खिलाफ लड़ाई है और गरीब को मदद करने का सबसे बड़ा उपक्रम है। अगर एक गरीब परिवार में बीमारी आती है तो वर्ल्डर बैंक का कहना है एवरेज 7 हजार रूपया उस गरीब परिवार का बीमारी को ले करके खर्च होता है। अगर वो परिवार स्व स्थब रहें, सिर्फ दवाई नहीं एक ऑटो रिक्शार वाला बीमार हो जाता है तो तीन दिन ऑटो रिक्शाी बंद हो जाती है और तीन दिन पूरा परिवार भूखा बैठा रहता है और इसलिए जब हम हेल्थत की चर्चा करें तब सामान्य मानवीकि जिन्दइगी में हम क्यार कर सकते है उस पर अगर हम बल देंगे तो हम वाकईय, वाकईय हेल्थक सेक्टकर में बदलाव आएगा। preventing health care पर बल देना पड़ेगा। चाहे वो स्व च्छेता का विषय हो, योगा हो एक्सएरसाइज हो, खान-पान की आदतें हो, दूसरा affordable health care ।

• विदेश नीति कोई ये सारे एग्रेसिव, प्रोग्रेसिव और प्रोएक्टिव इन शब्दोंआ की जरूरत नहीं है एकचूलि विदेश नीति देश के हित की नीति होती है। इंडिया फर्स्ट उसका सेंटर पॉवइट यही है इंडिया फर्स्ट भारत के र्स्टेंजिक जो हित है उसकी रक्षा हो भारत आथ्रिक दृष्टि से फले फूले दुनिया में जहां जगह हो वहां पहुंचे और तीसरी बात है वक्ते बदल चुका है पूरी दुनिया इंटरडिपेंडट है दुनिया का कोई देश एक खेमें में भी नहीं है और खेमे वाला युग भी पूरा हो चुका हो हर कोई किसी से जुड़ा हुआ है और पांच चीजों में साथ चलता होगा दो चीजों में सामने चलता होगा फिर भी साथ-साथ रहते होंगें ये अवस्था है इसका बारीकी से समझना उपयोग करना और भारत के हितों की चिंता करना ये मैं समझता हूं बहुत बड़ा काम है और दूसरा एक पहलू जो हमने उपयोग करना चाहिए वो है हमारा diaspora दुनिया में बसे हुए भारतीयों की अपनी एक ताकत है, दुनिया में बसे हुए भारतीयों की अपनी एक साख है, इज्जपत है, उनकी उन उन सरकारों ने उनके प्रति बड़ा आदरभाव है ये हमारी शक्ति का भारत के लिए दुनिया के साथ संबंधों को जोड़नें के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं इन दिनों diaspora काफी प्रोएक्टिव हुआ है। एसरटिव भी होने लगा है। मैं समझता हूं ये भारत के लिए बहुत आवश्यवक है और बहुत अच्छीा तरह दुनिया के लिए भारत एक नई उर्जा के साथ, एक प्रतिष्ठा‍ के साथ अपनी जगह बना रहा है और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़े हुए देशों में भारत आज कई initiative ले रहा है जिसमें दुनिया हमारा साथ दे रही है

• मैं कभी-कभी ये जो गौ-रक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोल करके बैठ गए है, मुझे इतना गुस्साा आता है। गऊ भक्तु अलग है, गऊ सेवक अलग है। पुराने जमाने में आपने देखा होगा कि बादशाह और राजाओं की लड़ाई होती थी, तो बादशाह क्याो करते थे अपनी लड़ाई की फौज के आगे गायें रखते थे। राजा के परेशानी होती थी कि लड़ाई में अगर हम शस्त्रोंं का वार करेगे तो गाय मर जाएगी तो पाप लगेगा और इसी उलझन में वो हार जाते थे और वो भी बड़ी चालाकी से गाय रखते थे। मैंने देखा है कि कुछ लोग जो पूरी रात एंटी सोशल एक्टिविटी करते है, कुछ लोग। लेकिन दिन में गऊ रक्षक का चोला पहन लेते है। मैं राज्य सरकारों को अनुरोध करता हूं कि ऐसे जो स्वायंसेवी निकले है, अपने आप को बड़ा गौ-रक्षक मानते है उनको जरा डोजियर तैयार करो। 70-80 percent ऐसे निकलेंगे जो ऐसे गोरख धंधे करते है जो समाज स्वी कार नहीं करता है लेकिन अपनी उस बुराईयों को उनसे बचने के लिए ये गौ-रक्षा का चोला पहन करके निकलते है। और सचमुच में, सचमुच में वो गऊ सेवक है तो मैं उनसे आग्रह करता हूं एक काम कीजिए। सबसे ज्या दा गाय कत्ल के कारण मरती नहीं है, प्लारस्टिक खाने से मरती है। आपको जान करके हैरानी होगी गाय कूड़-कचरे में से प्ला स्टिक खा जाती है और उसका परिणाम होता है कि गाय मर जाती है।