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प्रवासी मजदूरों के पलायन पर गृह मंत्रालय ने उठाए प्रभावी कदम

कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारी सुरक्षा के मद्देनजर देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च को की थी. इस लॉकडाउन की स्थिति में अनेक प्रकार की अफवाहों ने प्रवासी मजदूरों के संकट को बढ़ा दिया है, जिसके मद्देनजर प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ चल पड़े, वहीं दिल्ली में प्रवासी श्रमिकों की स्थिति काफी गंभीर दिखाई दे रही है. मीडिया के हवाले से यह खबर भी सामने आ रही है कि डीटीसी बसों द्वारा मजदूरों को उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर छोड़ा जा रहा है. यह सब बातें अरविंद केजरीवाल सरकार की कोविड-19 से लड़ने के दावों की पोल खोलने वाली हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने तत्काल कई प्रभावी कदम उठाए, जिससे श्रमिक वर्ग को किसी वस्तु का अभाव न हो और उनका पलायन भी रूक जाए.

यकायक देश के विभिन्न हिस्सों से मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ कूच करने लगे, इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह ने कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बात करके यह आग्रह किया कि वह प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों पर अपना ध्यान तुरंत आकृष्ट करें एवं उनके खाने-पीने एवं रहने का उचित प्रबंध करें. गृह मंत्रालय ने राज्यों में बाहर से आए प्रवासी श्रमिकों एवं छात्रों को समूची सुविधा पहुँचाने के मद्देनजर सभी केंद्र शासित प्रदेशों एवं राज्यों को लगातार एडवाईजरी जारी कर रही है, जिसमें लॉकडाउन के दौरान फंसे सभी प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को समाप्त करने के साथ उन्हें तत्काल बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जा रहे हैं. गृह मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में असंगठित क्षेत्र के श्रमिक भी शामिल हैं. इसके साथ ही गृह सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर प्रवासी श्रमिकों के लिए दवा, भोजन, कपड़े एवं रहने की सुविधा के साथ मुफ्त में अनाज की उपलब्धता के बारे में जानकारी देने की बात कही है. अपनी चिट्टी में गृह सचिव ने इस बात का भी जिक्र किया है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर राज्य एसडीआरएफ फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं. गृह मंत्रालय हर स्तर पर प्रवासी मजदूरों की समस्याओं से निजात दिलाने के लिए प्रयासरत है. धन की कमी की वजह से राज्य सरकारें कोई आना-कानी न करें, इसका भी हल निकालते हुए गृह मंत्रालय ने राज्यों से आपदा राहत कोष का इस्तेमाल करने को कहा है. 2019 में कई राज्यों में प्राकृतिक आपदा आ गई थी. ऐसे आठ राज्यों को गृह मंत्री अमित शाह ने 5 हजार 751 करोड़ रूपये दिए हैं. इन आठ राज्यों में बिहार, केरल, महाराष्ट्र, नागालैंड, उड़ीसा, राजस्थान, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल शामिल है. गौरतलब है कि गत वर्ष यह राज्य चक्रवात, बाढ़, सूखे और भूस्खलन की चपेट में आ गए थे. गृह मंत्रालय ने रविवार को पुन: पलायन करते कामगरों की समस्या की गंभीरता को देखते हुए सभी राज्य सरकारों को सख्ती से निर्देश दिया है कि वह प्रवासी श्रमिकों के भोजन इत्यादि की व्यवस्था करें तथा जिलों एवं राज्यों की सीमाओं को तुरंत सील करें(सामान जाने की अनुमति). जो मजदूर अपने घर के लिए निकल गए हैं, उनके आवश्यक जांच के बाद कम से कम 14 दिन के लिए क्वारंटाईन में रखा जाएगा. गौरतलब है कि इस समय सभी काम बंद हैं, लेकिन मंत्रालय ने मजदूरों के वेतन में कोई कटौती न हो यह भी सुनिश्चित किया है. जो मजदूर किराए के घरों में रहते हैं उनसे मकान मालिक इस अवधि में न तो किराया मांग सकते है और न ही घर खाली करने को बोल सकते हैं. अगर कोई मकान मालिक ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं. गृह मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर बेहद संवेदनशीलता दिखाई है. अब राज्य सरकारें मंत्रालय के निर्देशों को अमल में लाए, जिससे कामगरों को बड़ी राहत मिल सके.

(लेखक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च एसोसिएट हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)