Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

विकसित भारत के पंच प्रण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से विकसित भारत का मंसूबा व्यक्त किया. यह उनका तत्कालिक संकल्प मात्र नहीं था. बल्कि उनकी सरकार विगत आठ वर्षों से इसी संकल्प को सिद्ध करने में लगी है. लेकिन परिवारवाद और भ्रष्टाचार भारत को विकसित बनाने में बाधक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पर प्रहार किया है. भारत में प्रजातंत्र है. सरकार के अपने संवैधानिक दायित्व होते है. मोदी सरकार इस जिम्मेदारी का निर्वाह कर रही है. लेकिन भारत को विकसित बनाने के अभियान में जनता का योगदान भी अपरिहार्य होता है. वह राजनीति में परिवारवाद को हतोत्साहित कर सकती है. ऐसी पार्टियों की पहली चिंता अपने कुनबे को लेकर होती है. उस पार्टी में चाहे जितने वरिष्ठ और ईमानदार नेता हों, लेकिन नेतृत्व तय करने का अंदाज राजतंत्र जैसा होता है. पार्टी सुप्रीमो के पुत्र या पुत्री को ही पूरी पार्टी उत्तराधिकार में मिलती है. विपक्ष की मुख्य पार्टी कांग्रेस का उदाहरण दिलचस्प है. कुछ वर्ष पहले सोनिया गांधी ने अस्वस्थता के कारण पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का निर्णय लिया था. परिवारवाद के कारण उनकी नजर में राहुल गांधी ही इस पद के लिए सर्वाधिक उपयुक्त थे. कांग्रेस को उनके हवाले कर दिया गया. अध्यक्ष का ताज उनको पहनाया गया. इसके बाद कांग्रेस को कई चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ा. राहुल को लगा कि यह पद उन्हें जबाब देह बना रहा है. इसलिए उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया. अस्वस्थता के कारण अध्यक्ष पद छोड़ने वाली सोनिया गांधी पर फिर से जिम्मेदारी आ गई. वह अंतरिम अध्यक्ष बन गई. वह दिन और आज का दिन. राहुल दुबारा अध्यक्ष पद का जोखिम उठाना नहीं चाहते. सोनिया गांधी की नजर में दूसरा कोई भी इस सिंहासन के लायक नहीं है. उनकी पुत्री प्रियंका भी नहीं. जाहिर है कि राजनीति के परिवारवाद पर मतदाताओं को ही निर्णय करना है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से किसी पार्टी का नाम नहीं लिया. लेकिन बिहार और पश्चिम बंगाल का उदाहरण सामने है. पश्चिम बंगाल में परिवारवादी पार्टी का शासन है. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमों ममता बनर्जी के भतीजे युवराज के रूप में है. ऐसी पार्टियों में सभी बड़े कार्यों पर मुखिया की नजर रहती है.ममता बनर्जी के विश्वासपात्र की बड़े घोटाले में संलिप्तता का मामला उजागर हुआ है. बड़ी मात्रा मे अवैध संपत्ति ईडी को मिली है. लेकिन ममता बनर्जी की सरकार को विधानसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त है. बिहार में नीतीश कुमार ने जिस पार्टी पर घोटालों के आरोप लगाए थे,जिसके संस्थापक की वर्तमान स्थिति सबके सामने है, उसी पार्टी के साथ नीतीश ने सरकार बना ली है. तेजस्वी यादव उनके साथ उपमुख्यमंत्री है. इतिहास ने अपने को दोहराया है. नितीश और तेजस्वी की यह जोड़ी दूसरी बार सरकार में है. पहली बार राजद परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण ही नितीश उनसे अलग हुए थे. वह भाजपा के साथ आ गए थे. फिर लौट कर वहीँ पहुँच गए. उनकी वर्तमान सरकार संख्याबल के हिसाब से पहले के मुकाबले मजबूत है. लेकिन गंभीर आरोपियों का इसमें वर्चस्व रहेगा. ऐसी स्थिति से मतदाता ही राजनीति को बचा सकते हैं. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के सहयोग का आह्वान किया है. ऐसा करके वह अपवाद छोड़ कर अन्य सभी पार्टियों के निशाने पर आ गए है. क्योंकि भाजपा और वामपंथियों को छोड़ कर सभी पार्टियां परिवारवाद पर आधारित है. कम्युनिस्ट पार्टी केरल तक सिमट चुकी है. वहाँ भी वामपंथ का नया संस्करण आ गया है. मुख्यमंत्री के दामाद का जलवा सरकार और पार्टी में बढ़ रहा है. देश के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में देश के खिलाड़ियों को पहले से अधिक पदक मिले हैं। यह प्रतिभाएं पहले भी भारत में थीं, लेकिन भाई-भतीजावाद के कारण वह नहीं उभर पायीं। भारत को विकसित बनाने के मार्ग में दूसरी सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार है. इसमें भी परिवारवादी पार्टियों पर सर्वाधिक आरोप लगते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है. उससे देश को लड़ना ही होगा।

सरकार का प्रयास है कि जिन्होंने देश को लूटा है. उनको लूट का धन लौटाना पड़े। मोदी सरकार ने व्यवस्था में व्यापक सुधार किया है. चालीस करोड़ जनधन खाते खोले गए. विगत आठ वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार,मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए देश के दो लाख करोड़ रुपये को गलत लोगो के हांथों तक जाने से रोक दिया गया. आत्मनिर्भर अभियान भी भारत को विकसित बनाने में सहायक सिद्ध हो रहा है. इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. पीएलआई योजनाओं के माध्यम से, हम दुनिया के विनिर्माण बिजलीघर बन रहे हैं। लोग मेक इन इंडिया के लिए भारत आ रहे हैं। बच्चे ने विदेशी खिलौनों का बहिष्कार कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत के लिए पांच प्रण का महत्त्व रेखांकित किया. हमको भारतीय विरासत पर गर्व करना चाहिए. वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन के माध्यम से सम्भव है.  भारत लोकतंत्र की जननी है। इसका भी देश को गर्व होना चाहिए. दासता के किसी भी निशान को हटाना, विरासत पर गर्व,एकता और अपने कर्तव्यों को पूरा करना सभी का दायित्व है.इससे भारत को विकसित बनाया जा सकता है.पंच प्रण पर अपनी शक्ति,संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना आवश्यक है. देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा.

पहला प्रण विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्रण गुलामी का एक भी अंश अगर अब भी है, तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। इस सोच ने कई विकृतियां पैदा कर रखी है, इसलिए गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही होगी। विरासत पर गर्व करना तीसरा प्रण तत्व है. यही वह विरासत है जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया है। एकता और एकजुटता चौथा प्रण तत्व है.पांचवां प्रण संकल्प बड़े रखने का है. इससे पुरुषार्थ और शक्ति दोनों में वृद्धि होती है. आजाद देश के रूप में देश ने पचहत्तर साल की यात्रा पूरी कर ली है। सरकार की ओर से अगले अगले साल के कालखंड को अमृत काल का नाम दिया गया है। विश्व भारत की तरफ गर्व और उसे अपेक्षा से देख रहा है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर खोजने लगा है। इधर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से जिन पंचप्रणों से जुड़ने का संकल्प लेने के लिए कहा था, उन्हीं पंचप्रणों के माध्यम से भारत दुनिया में एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का सजगतापूर्वक पालन करे, तो आजादी के शताब्दी महोत्सव तक भारत दुनिया की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित हो जायेगा। अमृतकाल भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर है।

देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी से भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश ने भी आगामी पांच वर्षों की अपनी कार्ययोजना के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था को चार गुना अर्थात एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के एक वृहद लक्ष्य को लेकर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया है। प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए सभी विभागों को दस सेक्टर-कृषि उत्पादन, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, नगरीय विकास,ग्राम्य विकास, पर्यटन एवं संस्कृति,शिक्षा,राजस्व संग्रह तथा सुरक्षा एवं विविध सेक्टरों में समायोजित करते हुए कार्य किया जा रहा है।

डीबीटी के माध्यम से अन्नदाता किसानों के खातों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये अन्तरित किये गये हैं। खेती की लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने तथा फर्टिलाइजर, केमिकल व पेस्टिसाइड के उपयोग को कम करने के लिए इसे प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ा जा रहा है। प्रथम चरण में प्रदेश के पवित्र गंगा जी के तटवर्ती सत्ताइस जनपदों, बुन्देलखण्ड के सात जनपदों में प्राकृतिक खेती की कार्ययोजना को राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के साथ मिलकर लागू किया जा रहा है। प्रदेश के किसानों द्वारा किये जाने वाले उत्पादन में आने वाले समय में चार गुना वृद्धि के लक्ष्य की कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है. प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए गोवंश की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए गोवंश संरक्षण के लिए सरकार ने कार्य प्रारम्भ किये। प्रदेश में साठ हजार से अधिक निराश्रित गोआश्रय स्थल हैं, जिनमें वर्तमान में दस लाख से अधिक निराश्रित गोवंश का संरक्षण व संवर्धन हो रहा है। प्रकृति और प्रगति के बेहतर समन्वय को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश में दशकों से लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को विगत पांच वर्षों में पूर्ण कराया गया है। इससे इक्कीस लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध हुई है। विगत पांच वर्षों में राज्य को निवेश के बेहतरीन गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करते हुए लगभग चार लाख करोड़ रुपये के निवेश को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है। प्रदेश के परम्परागत उद्यमों के उन्नयन के लिए एक जनपद, एक उत्पाद योजना तथा विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से कारीगरों, हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन योजनाओं ने प्रदेश से निर्यात को करीब नब्बे हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वह किया है। अगले वर्ष जनवरी फरवरी में ‘यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट’ का आयोजन किया जाएगा। इसके माध्यम से दस लाख करोड़ रुपये के नये निवेश का लक्ष्य है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

सन्दर्भ — आत्म निर्भर भारत अभियान

प्रो सोमेश शुक्ला

आजादी @75

विवेक मिश्र

गांधी दर्शन

हेमंत कुकरेती

ग्रामीण स्वावलंबन 

दीपक बंका