Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

कोरोना संकट: मप्र में पूरे पराक्रम से जंग जीतता एक अनथक योद्धा

मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबन्ध में कहा जाता है कि वे अभूतपूर्व व्यक्ति है। सार्वजनिक जीवन में उनके जैसी उपलब्धि बहुत कम लोगों के पास होती है, वे मप्र जैसे बड़े सूबे के चौथी बार सीएम बनने वाले अकेले नेता है। मप्र में अकेले ऐसे नेता भी है जिनका हर विधानसभा क्षेत्र में अपना निजी वोटबैंक भी है, यह वोट बैंक समाज के सबसे कमजोर तबके की पूंजी से बनाया गया है और इस पूंजी की खासियत है महिलाएं। मप्र के वे अकेले ऐसे नेता भी है जिनकी अपील महिला वोटरों पर सीधा असर रखती है। वे जब खुले मंच से खुद को “मामा” कहते हैं तो प्रदेश की न केवल बेटियों से भांजी का मजबूत नाता खड़ा करते है, बल्कि बेटियों की माँओं से भी भाई-बहन के रिश्तों को याद दिलाते रहते हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत है, लो प्रोफाइल सीएम बनकर काम करना। उनका संभाषण हर आम, गरीब को उसी की भाषा शैली में सीएम से जोड़ता है। वह देश भर में संभवतः पहले सीएम है जो महीने में औसतन 20 दिन प्रदेश के मैदानी इलाकों में घूमते रहते है। इसलिए उनकी प्रादेशिक अपील के आगे कोई भी दूसरा नेता टिक नहीं पाता है।

कोरोना संक्रमण के बीच सीएम की चौथी बार कुर्सी संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनौती पहाड़ जैसी थी। उन्होंने अपने सुदीर्ध प्रशासनिक अनुभव के बल पर मप्र में कोरोना महामारी औऱ इससे सह सबंधित समस्याओं को जिस दृढ़ता औऱ सुझबुझ के साथ संभाला, उसने मप्र को इस वैश्विक महामारी से निपटने में निर्णायक योगदान दिया।

पदभार संभालते ही उन्होंने सबसे पहले सर्वाधिक संक्रमित इंदौर, उज्जैन, भोपाल शहरों को सर्वोपरि प्राथमिकता पर लेकर अलग से एक्शन प्लान बनाएं। इन शहरों की कमान बेहतर समझने वाले अफसरों को दी गई। हर 24 घण्टे में मॉनिटरिंग के मैकेनिज्म को विकसित कर जरूरी कदम उठाये गए। मुख्यमंत्री ने खुद प्रदेश के लगभग सभी जिलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हालातों का जायजा लिया। भोपाल की सड़कों पर उतरकर उन्होंने लोकडाउन की सख्ती का अवलोकन किया।

इस बीच प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग को 24 घण्टे आपातकालीन मोड़ पर काम करने के लिए लगाया गया। प्रदेश के सर्वाधिक काबिल अफसरों को इन महकमों की कमान दी गई। कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार को युद्धस्तर पर बढ़ाया गया।  आज मप्र में 9 हजार टेस्टिंग प्रतिदिन हो रही है, वहीं सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी टेस्टिंग सुविधाओं के बहाल होते ही यह क्षमता 16 हजार प्रतिदिन पर आ जायेगी। ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि 23 मार्च तक यह संख्या प्रदेश में 2 हजार के लगभग ही थी। मप्र में इन पंक्तियों को लिखे जाने तक कोरोना की ग्रोथ रेट 1.43 है जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। प्रदेश में कुल चिन्हित 19 हजार कोरोना पोजेटिव मरीजो की रिकवरी दर 76.9 है जबकि देश मे यह 58.01 फीसदी है। स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी अनुभवी प्रशासनिक पकड़ के साथ इस वैश्विक महामारी से प्रदेश के नागरिकों को बचाने में अपना पूरा पराक्रम झोंक दिया है। मुख्यमंत्री ने अफसरों को आईआईटीटी पर युद्धस्तरीय काम करने के निर्देश दिए। इसका आशय आइडेंटिफिकेशन, आइसोलेशन, टेस्टिंग, ट्रीटमैंट था। एक जुलाई से 15 जुलाई तक ” किल कोरोना “अभियान पूरे मप्र में चलाया गया, जिसके तहत लगभग 3 लाख लोगों की घर-घर जाकर जांच की गई है। प्रति दस लाख आबादी पर चार हजार कोरोना टेस्टिंग के लक्ष्य पर भी महत्वपूर्ण काम किया गया। जाहिर है प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे को पूरी तरह से मुख्यमंत्री ने कोरोना के बचाव के लिए प्रमाणिकता से समर्पित कर नागरिकों के लिए एक बेहतर औऱ भयमुक्त माहौल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।

दूसरी तरफ कोरोना के सामाजिक आर्थिक दुष्प्रभावों से भी प्रदेश को बचाने के लिए शिवराज सरकार ने ऐतिहासिक कदम ततपरता के साथ उठाये हैं। प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित घर वापसी के लिए जो एक्शन प्लान बनाया गया वह देश भर में नजीर साबित हुआ। प्रदेश के हर जिले से जाने वाले मजदूरों की वापसी के लिए बनाए गए प्लान में एक आईएएस अफसर को जिले का प्रभारी बनाया गया। उस जिले के कलेक्टर और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रवासी मजदूरों की सूची बनाई गई। साथ ही परिवार जनों से बैंक खाते संकलित कर एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर किये गए। दूसरे प्रदेशों से ट्रेन एवं बसों के जरिये गांवों तक सुरक्षित घर वापसी बगैर व्यवधान सुनिश्चित की गई। गांवों में लौटकर आये इन मजदूरों का कौशल आधारित सर्वेक्षण कर लेबर बजट 20.50 करोड़ मानव दिवस को बढ़ाकर 34.03 करोड़ किया। मुख्यमंत्री ने इन मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए “मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना 2020” आरम्भ की औऱ तत्काल डेढ़ लाख

प्रवासी मजदूरों के लिए 15 करोड़ की राशि ट्रांसफर की। कोविड-19 के संक्रमण के दौरान ही किसानों की फसल के उपार्जन जैसा चुनौतीपूर्ण कार्य भी शिवराज सरकार ने बेहतरीन ढंग से पूरा किया। उपार्जन केंद्रों की संख्या दोगुनी से ज्यादा कर सबसे छोटे किसानों को प्राथमिकता पर लेकर उनके गेहूं की खरीदी की गई। करीब 16 लाख किसानों का 24 हजार करोड़ का गेंहू इस अवधि में खरीदकर सरकार ने एक रिकॉर्ड निर्मित किया। इसी तरह 2 लाख किसानों से 1500 करोड़ में चना,सरसों,मसूर की खरीदी भी की गई। यह राशि सीधे किसानों के खातों में भेजी गई। 32 लाख बीड़ी पत्ता तोड़ने वाले मजदूरों के खाते में तत्काल 407 करोड़ की राशि ट्रांसफर की गई। निर्माण श्रमिको को लोकडाउन में दैनिक खर्च के लिए 177 करोड़ सीधे खातों में पहुँचाया गया। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत दिव्यांग, विधवा, बुजुर्गों के खातों में एडवांस सहायता के तौर पर 670 करोड़ की राशि भी मुख्यमंत्री ने तत्काल पदभार ग्रहण करते ही जारी कर कोरोना संकट में सरकार के खड़े होने का बखूबी अहसास कराया। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के लिए श्रम सिद्धि अभियान के तहत 25 लाख श्रमिकों के लिए 1600 करोड़ के प्रावधान से एक मजबूत आर्थिक सुरक्षा कवर स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध कराकर मुख्यमंत्री ने अपनी जनसेवक की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करने का काम किया है। इनके अलावा भी महिला बाल विकास, खाद्य नागरिक आपूर्ति, नगरीय विकास अध्यात्म,स्कूल शिक्षा जैसे महकमों से संबद्ध लाखों श्रम जीवियों एवं गरीब हितग्राहियों को सीधी नकदी मदद इस अवधि में उपलब्ध कराकर शिवराज सिंह लोगों को के लिए  इस संकट की घड़ी में मजबूत संबल साबित हुए। प्रदेश के करीब 60 लाख परिवारों को तीन माह का अग्रिम राशन इस अवधि में निःशुल्क देने के साथ उन 10 लाख हितग्राहियों को भी खाद्य सुरक्षा दायरे में लाकर राशन मुहैया कराया गया है जो पात्रता श्रेणी में नहीं थे।

सरकार ने आर्थिक पहिया जाम न हो इसके लिए श्रम कानूनों में भी क्रांतिकारी सुधार सुनिश्चित किये। औधोगिक, कारखाना, ठेका कानूनों में भी बुनियादी पहल करने वाले मुख्यमंत्री ने समाज के हर वर्ग के पीछे खड़े होकर मजबूत संबल देने में कोई कसर नही छोड़ी है।

मप्र में कोरोना से निबटने के तार्किक औऱ प्रभावी उपायों की सुनिश्चितता के लिए स्थानीय स्तर पर कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों को आवश्यकतानुसार निर्णय लेने की छूट दी गई है। हर जिले में क्राइसिस मैनेजमेंट टीम बनाई है जो लगातार इस आशय के निर्णय ले रही है।

मुख्यमंत्री खुद अनलॉक के बाद लगातार प्रदेश के हर जिले में जाकर मामलों की समीक्षा कर रहे है। कैबिनेट गठन के बाद शिवराज सिंह ने अपने सभी मंत्रियों को निर्देश दे दिए है कि वे युद्धस्तरीय कौशल औऱ समर्पण के साथ अपने अपने जिलों में जनता की सेवा और प्रशासनिक व्यवस्था में जुट जाएं।

मुख्यमंत्री ने कोविड 19 के वैश्विक संकट से मप्र को बचाने के लिए हर मोर्चे पर ऐतिहासिक प्रभाव के साथ काम किया है।एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें मप्र की जनता ने जो व्यापक अधिमान्यता दी है उसे उन्होंने इस संकट की घड़ी में दोगुनी ताकत से प्रमाणित करने का काम किया है।

शिवराज सिंह चौहान अक्सर अपने कार्यकर्ताओं को एक मन्त्र देते है”पांव में चक्कर, मुँह में शक्कर, सीने में आग, सिर पर बर्फ “लेकर चलना चाहिये।

24 घण्टे 365 दिन काम करने वाले शिवराज खुद भी इस मंत्र को आत्मसात करके जीने वाले बिरले नेता है।

(लेखक लोकनीति विश्लेषक हैं. लेख में व्यक्त उनके विचार निजी हैं.)