Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Salient Points of PM’s address at inauguration of Bangladesh Bhavan at Santiniketan in West Bengal on 25 May, 2018

‘बांग्लादेश भवन’ भारत और बांग्लादेश के सांस्कृतिक बंधुत्व का प्रतीक है। यह भवन दोनों देशों के करोड़ों लोगों के बीच कला, भाषा, संस्कृति, शिक्षा, पारिवारिक रिश्तों और अत्याचार के खिलाफ साझा संघर्षों से मजबूत हुए रिश्तों का भी प्रतीक है। इस भवन के निर्माण के लिए मैं शेख हसीना जी का और बांग्लादेश की जनता का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

गुरुदेव टैगोर, जो भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के राष्ट्रीय गान के रचयिता हैं, उनकी कर्मभूमि पर, रमज़ान के पावन महीने में, इस भवन का उद्घाटन बहुत खुशी का अवसर है।

साथियों, इस विश्वविद्यालय व इस पवित्र भूमि का इतिहास बांग्लादेश की आज़ादी, भारत की आज़ादी, और उपनिवेशकाल में बंगाल के विभाजन से भी पुराना है। यह हमारी उस साझा विरासत का प्रतीक है जिसे न तो अंग्रेज बांट पाए और ना ही विभाजन की राजनीति।

इस साझा विरासत के गंगासागर की अनगिनत लहरें दोनों देशों के तटों को समान रुप से स्पर्श करती हैं। हमारी समानताएं हमारे सम्बन्धों के मजबूत सूत्र हैं।

बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को जितना सम्मान बांग्लादेश में मिलता है उतना ही हिंदुस्तान की धरती पर भी मिलता है। स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के लिए जो भावना भारत में है, ठीक वैसी ही बांग्लादेश में भी देखने को मिलती है।

विश्व कवि टैगोर की कविताएं और गीत बांग्लादेश के गांव-गांव में गूंजते हैं, तो काज़ी नज़रूल इस्लाम जी की रचनाएं यहां पश्चिम बंगाल के गली-कूचों में भी सुनने को मिलती है ।

खुद बंगबंधु भी गुरुदेव के विचारों और उनकी कला के बहुत बड़े प्रशंसक थे। यह टैगोर के Universal Humanism का ही विचार था जिसने बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को प्रभावित किया था।

गुरुदेव का ‘शोनार बांग्ला’ बंगबंधु के मंत्रमुग्ध कर देने वाले भाषणों का एक अहम हिस्सा था।

टैगोर के Universal Humanism का विचार ही हमारे लिए भी प्रेरणा है। हमने अपने शब्दों में उसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र में परिलक्षित किया है।